सोमवार, 18 नवंबर 2024

अश्वगंधा (Ashwagandha) अश्वगंधा के लाभ - Withania Somnifera

 अश्वगंधा (Ashwagandha) एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा हैजिसका शाब्दिक अर्थ है "घोड़े की गंध" (अश्व = घोड़ागंध = गंध), इसका नाम संस्कृत शब्द "अश्व" (घोड़ा) और "गंध" (सुगंध) से आया है, क्योंकि इसके जड़ों से घोड़े जैसी गंध आती है, और यह माना जाता है कि यह घोड़े जैसी शक्ति और ताकत प्रदान करता है इसका वैज्ञानिक नाम "Withania somnifera" है और यह मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है।
अश्वगंधा को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण हर्बल उपचार के रूप में उपयोग किया जाता हैविशेष रूप से इसके अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के लिए। यह एक प्रकार का "एडाप्टोजनहैजो शरीर को तनाव से निपटने में मदद करता है। 


अश्वगंधा के फायदे:

  1. तनाव और चिंता कम करना: अश्वगंधा को एक प्राकृतिक एंटी-एंग्जाइटी (चिंता कम करने वाला) औषधि माना जाता है। यह शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।

  2. मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति में वृद्धि: यह शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है और मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे शारीरिक प्रदर्शन में सुधार होता है। यह खेलकूद के प्रदर्शन को भी बेहतर बना सकता है।

  3. मानसिक स्वास्थ्य और मस्तिष्क की कार्यक्षमता: यह मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को सुधारने में मदद करता है, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाता है, और स्मृति में सुधार करता है। यह अल्जाइमर जैसी मानसिक बीमारियों के खतरे को भी कम करने में मदद कर सकता है।

  4. इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: अश्वगंधा शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

  5. शारीरिक और मानसिक थकावट को कम करना: यह शरीर और मन की थकावट को कम करता है और जीवन शक्ति को बढ़ाता है।

  6. हार्मोनल संतुलन: यह पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने और महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन को सुधारने में मदद कर सकता है।


    सेवन का तरीका
    :

    अश्वगंधा को सामान्यतपाउडर या कैप्सूल के रूप में सेवन किया जाता है। इसे दूधपानी या शहद के साथ लिया जा सकता है। सही डोज़ के लिए चिकित्सक से सलाह लेना बेहतर होता है।





    • चूर्ण: अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण एक सामान्य रूप है, जिसे पानी या दूध के साथ लिया जाता है। 
    • कैप्सूल्स और टैबलेट्स: यह आहार पूरक के रूप में उपलब्ध है।
    • टिंक्चर: अश्वगंधा का तरल रूप भी उपलब्ध है।

    साइड इफेक्ट्स:

    अश्वगंधा एक बहुत ही प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है, लेकिन इसे सही मात्रा में और उचित तरीके से उपयोग करना जरूरी है। अश्वगंधा आम तौर पर सुरक्षित माना जाता हैलेकिन अत्यधिक सेवन से हल्का दस्तमिचली या सिरदर्द हो सकता है। 

    यह एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि हैलेकिन किसी भी हर्बल उपचार को अपनाने से पहले चिकित्सीय परामर्श लेना हमेशा अच्छा रहता है।

    सावधानियाँ: 


    • यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करवा रही हैं, तो अश्वगंधा का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
    • किसी भी प्रकार की एलर्जी या स्वास्थ्य समस्या होने पर इसका सेवन करने से पहले एक विशेषज्ञ से सलाह लें।



    अश्वगंधा (Ashwagandha) को आप किसी भी आयुर्वेदिक स्टोर या ऑनलाइन स्टोर के माध्यम से खरीद सकते हैं।  

    1. अश्वगंधा चूर्ण  

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    (प्रमुख द्रव्य – अश्वगंधा / NAME – WITHANIA SOMNIFRA / FAMILY – SOLANACEAE)

    (CHEMICAL COMPOSITION – CUSEOHYGRINE, ANAHYGRINE, TROPINE, ANAFERINE)

    ॥ पीताऽश्वगन्धा पयसाऽर्धमासं घृतेन तैलेन सुखाम्बुना वा ।।

    ॥ कृशस्य पुष्टिं वपुषो विद्यते बालस्य सस्यस्य यथा सुवृष्टिः ॥

    ॥ गुण – लघु, स्निग्ध रस – तिक्त,कटु मधुर 

    ॥ विपाक – मधुर, वीर्य – उष्ण 

    ॥ प्रयोज्य अंग – मूल, दोष कर्म – कफवातशामक 

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    अश्वगंधा चूर्ण के लाभ :

    •  सबसे उत्तम प्रभाव वीर्यवाहिनी नाड़ियों, वातवाहिनी नाड़ियों और मस्तिष्क तथा हृदय पर होता है, जिसके कारण यह चूर्ण मस्तिष्क को पुष्ट करता है ।
    •  उत्तम शक्तिवर्धक तथा बाजीकरण है ।
    •  शरीर को हृष्टपुष्ट बनाकर शरीर के वजन को बढ़ाता एवं उत्तम वय:स्थापक है ।
    • भ्रम, अनिद्रा, हृदय की कमजोरी को नष्ट करता है ।
    • बालशोष में अधिक लाभकर है ।
    • इस चूर्ण के सेवन से वीर्य विकार, शुक्रक्षय, वीर्य का पतलापन, शिथिलता, शीघ्रपतन प्रमेह आदि विकार नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा और निर्दोष बनता है ।

    अश्वगंधा : सप्तधातुवर्धक पौष्टिक औषधि

    • अश्वगंधा रस-रक्तादि सप्तधातुओं को पुष्ट करनेवाली आयुर्वेद की एक श्रेष्ठ औषधि है । यह वात-कफशामक एवं भूखवर्धक है । इसके सेवन से क्षीण शरीर इस प्रकार पुष्ट होता है जैसे वर्षा से छोटे-छोटे धान के पौधे लहलहा उठते हैं । अश्वगंधा विशेषतः मांस व शुक्रधातु की वृद्धि करती है ।

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    बल-वीर्यवर्धक व पुष्टिकारक अश्वगंधा पाक

    • अश्वगंधा के साथ वंशलोचन, जटामासी, अभ्रक भस्म, लौह भस्म, केसर, चंदन आदि बहुमूल्य औषधियों को मिलाकर बनाया गया अश्वगंधा पाक बल-वीर्यवर्धक, पुष्टिकारक, रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला श्रेष्ठ रसायन है । सर्दियों में अश्वगंधा पाक का सेवन करने से वर्षभर शरीर में शक्ति, स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है । इसे युवा, स्त्री, पुरुष व वृद्ध भी ले सकते हैं ।
    • अश्वगंधा पाक स्नायु व मांसपेशियों को बल प्रदान करने तथा वात विकारों को दूर करने हेतु रामबाण औषधि है । यह कमर दर्द हाथ-पाँव,जाँघों का दर्द एवं दुर्बलता, गर्भाशय की दुर्बलता, अनिद्रा, बहुमूत्रता, स्वप्नदोष, क्षयरोग आदि रोगों के लिए उत्तम औषधि है । यह स्मरणशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद (depression) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है ।

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    • बालकों के विकास के लिए अश्वगंधा विशेष लाभदायक है । 
    • अनिद्रा, क्षय तथा बालकों के बालशोष में भी वह लाभप्रद है ।
    • एक श्रेष्ठ बल्य रसायन
    • अश्वगंधा टेबलेट

    यह सप्तधातु, विशेषकर मांस व वीर्य वर्धक एवं बल व पुष्टि वर्धक श्रेष्ठ रसायन है । यह स्नायुओं व मांसपेशियों को ताकत देती है व कद बढ़ाती है । धातु की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता आदि के लिए यह रामबाण औषधि है । बुखार आदि के बाद आयी कमजोरी दूर करने हेतु उत्तम है ।

    उपयोग विधि  – Dosage    Buy 100% Pure Ashwagandha Powder @Rs.60 Only

    • 3-6 ग्राम,  सुबह शाम दूध या जल के साथ दें ।
    • अश्वगंधा सिद्ध दूध १ कप दूध में १ से २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा १ कप पानी मिला लें । धीमी आँच पर इतना अश्वगंधा चूर्ण उबालें कि पानी पूरा वाष्पीभूत हो जाय । इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री भी डाल सकते हैं ।
    •  इसका सुबह खाली पेट सेवन करें । इससे रक्त की वृद्धि होती है एवं वीर्य पुष्ट होकर धातुक्षीणता दूर होती है ।
    • जिनको खाँसी, कफ, दमा की तकलीफ हो वे आधा से १ चम्मच अश्वगंधा चूर्ण १ चम्मच शहद के साथ लें ।
    •  जिनको पित्त की तकलीफ हो वे अश्वगंधा चूर्ण को आँवला रस अथवा देशी गाय के घी के साथ लें ।

    जैसे अच्छी बारिश ऊगते हुए अनाज को पोषण देकर बड़ा करती है, वैसे ही आधे महीने तक घी, तेल अथवा गरम पानी के साथ ली हुई अश्वगंधा (आसोद) दुबले तन को हृष्टपुष्ट बनाती है ।

    अश्वगंधा चूर्ण किराने की दुकान में मिलता है । जो बहुत पुराना न हो, नया हो उसे ही पसंद करना चाहिए । शीतकाल में अश्वगंधा विशेष हितकर है । सुबह खाली पेट घी, तेल अथवा गरम पानी के साथ अश्वगंधा चूर्ण ३ से ६ ग्राम लें । उसके बाद दोपहर को जब भूख लगे तब भोजन से पूर्व सैंधा नमक और अदरक लेकर, दूध-भात अथवा दूध में बनाई हुई चावल की राब ली जाये तो सचमुच अश्वगंधा बलप्रद और वजन बढ़ाने वाली बनती है ।

    • अश्वगंधा के मूल को, कूटिये चूर्ण बनाय ।
    • दूध साथ सेवन करें, तन-यौवन खिल जाय ॥



    2. अश्वगंधा टेबलेट

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    अश्वगंधा टेबलेट के लाभ - (Benefits)

    • अश्वगंधा एक बलवर्धक व पुष्टिदायक श्रेष्ठ रसायन है ।
    • यह मधुर व स्निग्ध होने के कारण वात शमन करने वाला एवं रस- रक्तादि सप्तधातुओं का पोषण करने वाला है । 
    • इससे विशेषत: मांस व शुक्रधातु की वृद्धि होती है । 
    • यह शक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक, स्नायु और मांसपेशियों को ताकत देने वाला व कद बढ़ाने वाला एक पौष्टिक रसायन है ।
    • धातु की कमजोरी, शारीरिक-मानसिक कमजोरी आदि में भी लाभदायी है ।
    • बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए यह वरदान स्वरुप है ।
    • यह कफशामक एवं भूखवर्धक है ।
      अश्वगंधा के मूल को, कूटिये चूर्ण बनाय ।
      दूध साथ सेवन करें, तन-यौवन खिल जाय ॥


    उपयोग विधि – Dosage

    • 2 से 4 गोली सुबह-शाम खाली पेट मिश्री युक्त गुनगुने दूध के साथ लें । 
    • 2 से 4 गोली, 10-40 मि.ली. आँवले के रस के साथ लेने से शरीर में दिव्य शक्ति आती है ।



    । सप्तधातुवर्धक पौष्टिक औषधि । 
    अश्वगंधा रस-रक्तादि सप्तधातुओं को पुष्ट करनेवाली आयुर्वेद की एक श्रेष्ठ औषधि है । यह वात-कफशामक एवं भूखवर्धक है । अश्वगंधा विशेषतः मांस व शुक्र धातु की वृद्धि करती है ।। 
    ।।पीताऽश्वगन्धा पयसाऽर्धमासं।। । घृतेन तैलेन सुखाम्बुना वा।। ।। कृशस्य पुष्टिं वपुषो विद्यते।। 
    ।। बालस्य सस्यस्य यथा सुवृष्टिः ।। (अष्टांगहृदय उत्तरस्थान : ३९.१५७)
    । जैसे अच्छी बारिश उगते हुए अनाज को पोषण देकर बड़ा करती है, वैसे ही आधे महीने तक घी, तेल अथवा गरम पानी के साथ ली हुई अश्वगंधा दुबले तन को हृष्टपुष्ट बनाती है।


    सामग्री - अश्वगंधा, वंशलोचन, जटामांसी, अभ्रक भस्म, लौह भस्म, केसर, चंदन आदि बहुमूल्य औषधियाँ 

    अश्वगंधा पाक के लाभ - (Benefits)

    • अश्वगंधा पाक बल-वीर्यवर्धक, पुष्टिकारक, रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने वाला श्रेष्ठ रसायन है ।
    • यह पाक शक्तिवर्धक, स्नायु व मांसपेशियों को ताकत देने वाला एवं कद बढ़ाने वाला एक पौष्टिक रसायन है ।
    •  सर्दियों में अश्वगंधा पाक का सेवन करने से वर्षभर शरीर में शक्ति, स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है ।
    •  अश्वगंधा पाक वात विकारों को दूर करने हेतु रामबाण औषधि है ।
    •  यह वातशामक तथा रसायन होने के कारण विस्मृति, यादशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है ।
    •  इसे युवा, स्त्री, पुरुष व वृद्ध भी ले सकते हैं ।
    •  यह धातु की कमजोरी, शारीरिक-मानसिक कमजोरी आदि के लिए उत्तम औषधि है । 
    •  इसके सेवन से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है एवं वीर्यदोष दूर होते हैं ।
    •  स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु जाना आदि विकारों में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायी है । 
    •  यह राज्यक्ष्मा (क्षयरोग) में भी लाभदायी है । इसके सेवन से नींद भी अच्छी आती है ।
    •  दूध के साथ सेवन करने से शरीर में लाल रक्तकणों की वृद्धि होती है, जठराग्नि प्रदीप्त होती है, शरीर में शक्ति आती है व कांति बढ़ती है ।
    •  सर्दियों में इसका लाभ अवश्य उठायें ।
    •  वजन बढ़ाने हेतु अश्वगंधा पाक के साथ पुष्टि कल्प, अश्वगंधा चूर्ण, शतावरी चूर्ण, च्यवनप्राश, सौभाग्य शुंठी पाक, द्राक्षावलेह, मामरा बादाम, खजूर, घी ले सकते हैं ।
    • यह सप्तधातु, विशेषकर मांस व वीर्य वर्धक एवं बल व पुष्टि वर्धक श्रेष्ठ रसायन है । यह स्नायुओं व मांसपेशियों को ताकत देती है व कद बढ़ाती है । धातु की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता आदि के लिए यह रामबाण औषधि है । बुखार आदि के बाद आयी कमजोरी दूर करने हेतु उत्तम है ।

    उपयोग विधि  – Dosage

    • १ चम्मच (५ ग्राम) दूध के साथ लें ।

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